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Is it normal for babies to sleep with their eyes open: एक नई मां के मन को उसके नवजात शिशु से जुड़े कई सवाल दिन-रात परेशान करते रहते हैं। यह सभी सवाल बच्चे के खाने पीने से लेकर स्लीपिंग पैटर्न तक से जुड़े हुए हो सकते हैं। लेकिन इन सवालों से हटकर कई बार बहुत सारी मांएं अपने बच्चे को लेकर यह शिकायत करती हैं कि उनका बच्चा अपनी आंख खोलकर सोता है। मेडिकल भाषा में इस समस्या को नोकटर्नल लैगोफथाल्मोस (Nocturnal Lagophthalmos) के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं आखिर बच्चों के आंख खोलकर सोने के पीछे क्या है कारण, नुकसान और उसका सही उपचार।
आंख खोलकर सोने के कारण-
-इस विषय पर हुए शोध की मानें तो बच्चों में खुली आंखों से सोने की आदत ज्यादातर उनके परिवार से आती है। अगर पेरेंट्स में से किसी एक को भी ये आदत है तो यह आदत बच्चे में भी आ जाती है।
-डॉक्टर्स की मानें तो कई बार चेहरे की कुछ नसों में दिक्कत होने पर भी बच्चों को ये परेशानी हो सकती है। लंबे समय से अगर आपका बच्चा इसी तरह सो रहा है तो डॉक्टर्स से सलाह जरुर लें।
-कई बार यूरोफेशियल सिंड्रोम का शिकार होने पर भी बच्चे में इस तरह की समस्या देखी जा सकती है।
-कई बार बेल्स पाल्सी के कारण भी बच्चों की आंखें खुली रहती हैं। इस स्थिति में चेहरे की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जिसकी वजह से आंखों की पलकों को खोलने में दिक्कत महसूस हो सकती है।
आंख खोलकर सोने से बच्चे को होने वाले नुकसान
– जो बच्चे आंख खोलकर सोते हैं उन्हें भविष्य में धुंधला दिखने की समस्या हो सकती है। ऐसे बच्चों को साफ देखने में परेशानी महसूस हो सकती है।
-दूसरा, जो बच्चे आंख खोलकर सोते हैं उन्हें अपनी आंखों में थकान महसूस हो सकती है। जिसकी वजह से उनकी आंखें थकी हुई लग सकती हैं।
-आंखेंखोलकर सोने से बच्चों को आंखों में तेज दर्द के साथ भारीपन भी महसूस हो सकता है।
-आंखें खोलकर सोने वाले बच्चों को गहरी नींद नहीं आती है, जिसकी वजह से वो ज्यादातर समय उलझन और चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं।
-आंखे खोलकर सोने से बच्चों की आंखों को आराम नहीं मिल पाता और वो लाल हो सकती हैं।
ऐसे रखें बच्चों का ख्याल-
-आंख खोलकर सोते हुए बच्चों की पलकों को धीरे से बंद करने की कोशिश करें।
-आंखों को नमी देने के लिए कुछ आई ड्रॉप्स की मदद से भी यह समस्या दूर कर सकते हैं।
-18 महीने तक बच्चों में ये समस्या आम रहती है जिससे बच्चे को कोई खतरा नहीं है। इस दौरान औसतन बच्चे इसी तरह सूकून की नींद सोते हैं।
-जन्म के अगले 18 महीनों के बाद भी अगर बच्चे इसी पैटर्न में सोते हैं तो उन्हें बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर जाएं।